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SHREEJI DARSHAN & SHRINGAR/ज्येष्ठ-शुक्ल पक्ष-द्वितीया (प्रतिपदा क्षय)

जय श्री कृष्ण 🙏

व्रज – ज्येष्ठ शुक्ल द्वितीया (प्रतिपदा क्षय)

Wednesday, 28 May 2025

 

गुलाबी धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर क़तरा के शृंगार

 

राजभोग दर्शन –

 

कीर्तन – (राग : सारंग)

 

भलेई मेरे आये हो पिय

भलेई मेरे आये हो पिय ठीक दुपहरी की बिरियाँ l

शुभदिन शुभ नक्षत्र शुभ महूरत शुभपल छिन शुभ घरियाँ ll 1 ll

भयो है आनंद कंद मिट्यो विरह दुःख द्वंद चंदन घस अंगलेपन और पायन परियां l

‘तानसेन’ के प्रभु मया कीनी मों पर सुखी वेल करी हरियां ll 2 ll

 

साज – आज श्रीजी में गुलाबी रंग की मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

 

वस्त्र – आज प्रभु को गुलाबी रंग की मलमल धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता हैं. दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं.

 

श्रृंगार – प्रभु को आज मध्य का (घुटने तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की गोल पाग पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं एवं हमेल की भांति दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, गुलाबी मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट ऊष्णकाल के राग-रंग का एवं गोटी हक़ीक की आती हैं.

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