जय श्री कृष्ण 🙏
व्रज – आषाढ़ कृष्ण पक्ष द्वादशी (एकादशी क्षय)
Sunday, 22 June 2025
योगिनी एकादशी व्रत
श्वेत धोती, गाती का पटका एवं श्रीमस्तक पर कूल्हे पर श्वेत मोरपंख के जोड़ के शृंगार,
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
आज धरी गिरधर पिय धोती
अति झीनी अरगजा भीनी पीतांबर घन दामिनी जोती ll 1 ll
टेढ़ी पाग भृकुटी छबि राजत श्याम अंग अद्भुत छबि छाई l
मुक्तामाल फूली वनराई, ‘परमानंद’ प्रभु सब सुखदाई ll 2 ll
साज – आज श्रीजी में विमल कदम्ब के भाव की चितराम की पिछवाई धरायी जाती है.
वस्त्र – आज प्रभु को श्वेत मलमल की धोती एवं गाती का पटका धराया जाता हैं. दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज मध्य का (घुटने तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हीरा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर श्वेत रंग की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, श्वेत मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में मोती के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.कली आदि मालाए धराई जाती हैं.श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं एवं हमेल की भांति दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, चाँदी के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.पट ऊष्णकाल के राग-रंग का एवं गोटी बड़ी हक़ीक की आती हैं.

