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SHREEJI DARSHAN & SHRINGAR/श्रावण-कृष्ण पक्ष-षष्ठी

जय श्री कृष्ण 🙏

व्रज – श्रावण कृष्ण पक्ष षष्ठी
Wednesday, 16 Jul 2025

सेहरा के श्रृंगार

विशेष – आज श्रीजी को इस ऋतु का अंतिम सेहरे का श्रृंगार धराया जायेगा.

श्रावण कृष्ण अष्टमी से जन्माष्टमी की बधाई बैठेगी, प्रभु को बालभाव के श्रृंगार अधिक धराये जायेंगे और सेहरा कुमारभाव का श्रृंगार है अतः आज के बाद आश्विन नवरात्री तक श्रीजी को सेहरा नहीं धराया जाता.

आज के दिन सखियों ने साकेत वन में प्रिया-प्रीतम को सेहरे का श्रृंगार धराकर हिंडोलना झुलाया था इस भाव से यह श्रृंगार धराया जाता है.

आज श्रीजी को अमरसी पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर अमरसी छज्जेदार पाग के ऊपर सेहरा धराया जायेगा.

संध्या-आरती में कमलचौंक में श्री मदनमोहन जी केसरी सलमा सितारा के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : मल्हार)

सखी री सावन दूल्हे आयो l
शीश सहेरो सरस गजमुक्ता हीरा बहुत जरायो ll 1 ll
लाल पिछोरा सोहे सुन्दर सोवत मदन जगायो l
तेसीये वृषभान नंदिनी ललिता मंगल गायो ll 2 ll
दादुर मोर पपैया बोले बदरा बराती आयो l
‘सूरदास’ प्रभु तिहारे दरसकों दामिनी हरख दिखायो ll 3 ll

साज – आज श्रीजी में साकेत वन में विवाह के भाव की लग्नमंडप के चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है जिसमें श्री ठाकुरजी के साथ श्री स्वामिनीजी एवं श्री यमुनाजी के सेहरे के श्रृंगार में दर्शन होते हैं और सखियाँ मंगल गीत गा रहीं हैं.गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज अमरसी मलमल का पिछोड़ा एवं राजशाही पटका धराया जाता है. पटका रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होता है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फिरोज़ा के सर्वआभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर रुपहली ज़री की बाहर की खिडकी की अमरसी छज्जेदार पाग के ऊपर हीरा व माणक का सेहरा धराया जाता है. बायीं ओर दो तुर्री, लूम रुपहली ज़री की एवं दायीं ओर मीना की चोटी धरायी जाती हैं. श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

कस्तूरी, कली व कमल माला धरायी जाती है. श्वेत पुष्पों की थाग वाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, फिरोज़ा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक फिरोज़ा व एक सोने के) धराये जाते हैं.पट केसरी व गोटी राग-रंग की आती है.

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