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SHREEJI DARSHAN & SHRINGAR/भाद्रपद-कृष्ण पक्ष-चतुर्थी

जय श्री कृष्ण 🙏

व्रज – भाद्रपद कृष्ण पक्ष चतुर्थी
Wednesday, 13 August 2025

विशेष – आज के दिन श्रीजी में चंदरवा, टेरा, वंदनमाल, कसना, तकिया के खोल आदि बदले जाते हैं.आज से भाद्रपद कृष्ण नवमी के दिन तक सभी समय झारीजी में यमुनाजल आता है.

सभी बड़े उत्सवों के पूर्व श्रीजी को नियम के घर के श्रृंगार धराये जाते हैं जिन्हें घर के श्रृंगार भी कहा जाता है और इन पर श्रीजी के तिलकायत महाराज का विशेष अधिकार होता है.

जन्माष्टमी के पूर्व आज से घर के श्रृंगार धराये जाते हैं. इस श्रृंखला में आज श्रीजी को लाल एवं पीले रंग की इकदानी चूंदड़ी का पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर चुंदड़ी की छज्जेदार पाग के ऊपर लूम की किलंगी धरायी जाती है.

आज श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से मनोर (इलायची-जलेबी) के लड्डू आरोगाये जाते हैं.

आज ही जन्माष्टमी के दिन श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्र एवं साज के लिए सफेद मलमल एवं डोरिया के वस्त्र केसर से रंगे जाते हैं. वस्त्र रंगते समय नक्कारे, थाली एवं मादल बजाये जाते हैं एवं सभी वैष्णव बधाईगान करते हैं.

राजभोग आरती पश्चात पूज्य तिलकायत परिवार के सदस्य, मुखियाजी वस्त्र रंगते हैं, वैष्णवजन और दर्जीखाना के सेवकगण अपने हाथ में रख के सुखाते हैं.

भाद्रपद कृष्ण पंचमी के दिन ये वस्त्र रंगे जाते हैं इसका यह भाव है कि “हे प्रभु, जिस प्रकार ये श्वेत वस्त्र आज केशर के रंग में रंगे जा रहे हैं, मेरी पाँचों ज्ञानेन्द्रियाँ और पाँचों कर्मेन्द्रियाँ भी आज पंचमी के दिवस आपके रंग में रंग जाएँ.”

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

आँगन नंदके दधि कादौ l
छिरकत गोपी ग्वाल परस्पर प्रगटे जगमे जादौ ll 1 ll
दूध लियो दधि लियो लियो घृत माखन मांट संयुत l
घर घर ते सब गावत आवत भयो महरि के पुत ll 2 ll
बाजत तूर करत कुलाहल वारि वारि दे दान l
जायो जसोदा पुत तिहारो यह घर सदा कल्यान ll 3 ll
छिरके लोग रंगीले दीसे हरदी पीत सुवास l
‘मेहा’ आनंद पुंज सुमंगल यह व्रज सदा हुलास ll 4 ll

साज – श्रीजी में आज लाल एवं पीले रंग की मलमल पर इकदानी चूंदड़ी की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया के ऊपर मेघश्याम मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी में आज लाल एवं पीले रंग की इकदानी चूंदड़ी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के होते हैं.

श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्वआभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर चुंदड़ी की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम की किलंगी एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.

आज चार माला धरायी जाती हैं.पीले पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती है इसी प्रकार श्वेत पुष्पों की दो मालाजी हमेल की भांति भी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.पट लाल एवं गोटी स्वर्ण की छोटी धराई जाती हैं.आरसी श्रृंगार में स्वर्ण की छोटी एवं राजभोग में सोने की डांडी की आती है.

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