WhatsApp Image 2025 10 03 at 11.35.18 AM

SHREEJI DARSHAN & SHRINGAR/

जय श्री कृष्ण 🙏

व्रज – आश्विन शुक्ल पक्ष एकादशी
Friday, 03 October 2025

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

बन्यौ रास मंडल अहो युवति यूथ मध्यनायक नाचे गावै l
उघटत शब्द तत थेई ताथेई गतमे गत उपजावे ll 1 ll
बनी श्रीराधावल्लभ जोरी उपमाको दीजै कोरी, लटकत कै बांह जोरी रीझ रिझावे l
सुरनर मुनि मोहे जहा तहा थकित भये मीठी मीठी तानन लालन वेणु बजावे ll 2 ll
अंग अंग चित्र कियें मोरचंद माथे दियें काछिनी काछे पीताम्बर शोभा पावे l
‘चतुर बिहारी’ प्यारी प्यारा ऊपर डार वारी तनमनधन, यह सुख कहत न आवे ll 3 ll

राजभोग दर्शन –

साज – “द्वे द्वे गोपी बीच बीच माधौ” अर्थात दो गोपियों के बीच माधव श्री कृष्ण खड़े रास कर रहें हैं ऐसी रासलीला के चित्रांकन वाली पिछवाई आज श्रीजी में धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज गुलाबी ज़री का सूथन, काछनी एवं रास-पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र सफेद जामदानी (चिकन) के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. मिलवा – हीरा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.श्रीमस्तक पर डाख का मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. शरद के दिनो में चोटी (शिखा) नहीं धरायी जाती है. श्रीकर्ण में हीरा के मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

आज हास एवं त्रवल नहीं धराये जाते हैं.कली कस्तूरी एवं कमल माला धरायीं जाती हैं. हीरा की बग्घी एवं बग्घी की कंठी धरायी जाती हैं.श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.श्रीहस्त में कमलछड़ी, सोने के वेणुजी दो वैत्रजी धराये जाते हैं.

संध्या-आरती दर्शन उपरांत सारे वस्त्र, शृंगार ठाड़े वस्त्र पिछवाई बड़े कर के शयन के दर्शन में मंगला के दर्शन की भांति गुलाबी उपरना एवं गोल पाग एवं हीरा मोती के छेड़ान के शृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर रुपहरी लूम-तुर्रा धराये जाते हैं.आज से कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा तक आठों दर्शनों में रास के कीर्तन गाये जाते हैं.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shopping Cart