जय श्री कृष्ण 🙏
व्रज – अश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा
Monday, 08 September 2025
स्याम पीले (नाहरशाही) लहरियाँ का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर क़तरा के श्रृंगार
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
ढाडोई यमुनाघाट देखोई ।
कहा भयो घर गोरस बाढयो और गोधन के घाट ।।१।।
जातपांत कुलको न बड़ो रे चले जाहु किन वाट ।
परमानंद प्रभु रूप ठगोरी लागत न पलक कपाट ।।२।।
साज – श्रीजी में आज स्याम पीले (नाहरशाही) लहरियाँ की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया सफेद एवं चरणचौकी पर सफ़ेद रंग की बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी में आज स्याम पीले (नाहरशाही) लहरियाँ का पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग धराये जाती हैं. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के होते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज हल्का का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर स्याम पीले (नाहरशाही) लहरियाँ की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, क़तरा तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.श्वेत पुष्पों की विविध रंगों की थागवाली चार मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, स्याम मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.पट स्याम व गोटी चाँदी की आती हैं.