IMG 20250608 WA0005

SHREEJI DARSHAN & SHRINGAR/ज्येष्ठ-शुक्ल पक्ष-द्वादशी (द्वितीय)

जय श्री कृष्ण 🙏

*व्रज – ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी पक्ष (द्वितीय)*

Sunday, 08 June 2025

 

*बसरा के मोतियों से सिद्ध परधनी एवं श्रीमस्तक पर मोती की गोल पाग पर मोती के दोहरा क़तरा श्रृंगार ,राजभोग में बंगला का मनोरथ व सायं कली के श्रृंगार का मनोरथ*

 

 

*शृंगार दर्शन –*

*कीर्तन – (राग : बिलावल)*

देखे री हरि नंगमनंगा l

जलसुत भूषन अंग विराजत बसन हीन छबि उठि तरंगा ll 1 ll

अंग अंग प्रति अमित माधुरी निरखि लज्जित रति कोटि अनंगा l

किलकत दधिसुत मुख लेपन करि ‘सूर’ हसत ब्रज युवतिन संगा ll 2 ll

 

*राजभोग दर्शन*

*कीर्तन – (राग : सारंग)*

शीतल उसीर गृह छिरक्यों गुलाबनीर

परिमल पाटीर घनसार बरसत हैं ।

सेज सजी पत्रणकी अतरसो तर कीनी

अगरजा अनूप अंग मोद दरसत हैं ॥१॥

बीजना बियाँर सीरी छूटत फुहारें नीके

मानो घन नहैनि नहैनि फ़ूही बरसत हैं ।

चतुर बिहारी प्यारी रस सों विलास करे

जेठमास हेमंत ऋतु सरस दरसत हैं ॥२॥

 

*साज – आज श्रीजी में श्वेत जाली की कलात्मक पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.*

*वस्त्र – आज श्रीजी को बसरा के मोतियों से सिद्ध परधनी धरायी जाती है.*

*शृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर मोती की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, मोती का दोहरा क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.*

 

*श्रीकर्ण में मोती के एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.*

 

*श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली एक सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में चार कमल की कमलछड़ी, मोती के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.पट ऊष्णकाल का व गोटी छोटी हकीक की आती है.

 

 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shopping Cart