जय श्री कृष्ण 🙏
व्रज – वैशाख शुक्ल दशमी
Wednesday, 07 May 2025
शरबती मलमल के धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चन्द्रिका के शृंगार
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
आज धरी गिरधर पिय धोती
अति झीनी अरगजा भीनी पीतांबर घन दामिनी जोती ll 1 ll
टेढ़ी पाग भृकुटी छबि राजत श्याम अंग अद्भुत छबि छाई l
मुक्तामाल फूली वनराई, ‘परमानंद’ प्रभु सब सुखदाई ll 2 ll
साज – आज श्रीजी में शरबती रंग की मलमल की, रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को शरबती रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता है.
श्रृंगार – प्रभु को आज मध्य का (घुटने तक) ऊष्णकालीन मध्यम श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.श्रीमस्तक पर शरबती रंग की गोल पाग के ऊपर मोती की लड़, गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं. श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, चाँदी के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.पट ऊष्णकाल का व गोटी हकीक की छोटी आती है.