जय श्री कृष्ण 🙏
व्रज – ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी
Friday, 06 June 2025
शरबती मलमल की परधनी एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल बाँकी चन्द्रिका के श्रृंगार,
निर्जला एकादशी व्रत शनिवार, 07 जून 2025 के दिन होगा
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
भलेई मेरे आये हो पिय
भलेई मेरे आये हो पिय ठीक दुपहरी की बिरियाँ l
शुभदिन शुभ नक्षत्र शुभ महूरत शुभपल छिन शुभ घरियाँ ll 1 ll
भयो है आनंद कंद मिट्यो विरह दुःख द्वंद चंदन घस अंगलेपन और पायन परियां l
‘तानसेन’ के प्रभु मया कीनी मों पर सुखी वेल करी हरियां ll 2 ll
साज – श्रीजी में आज शरबती मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को शरबती रंग की मलमल की गोल छोर वाली रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित परधनी धरायी जाती है.
शृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.श्रीमस्तक पर शरबती रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, बाँकी गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में मोती के एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, झीने लहरियाँ के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.पट ऊष्णकाल का व गोटी छोटी हकीक की आती है.