जय श्री कृष्ण 🙏
व्रज – भाद्रपद शुक्ल पक्ष त्रयोदशी
Friday, 05 September 2025
लाल पीली एकदानी चूंदड़ी का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चंद्रिका के श्रृंगार
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
ग्वालिनी मीठी तेरी छाछि l
कहा दूध में मेलि जमायो साँची कहै किन वांछि ll 1 ll
और भांति चितैवो तेरौ भ्रौह चलत है आछि l
ऐसो टक झक कबहु न दैख्यो तू जो रही कछि काछि ll 2 ll
रहसि कान्ह कर कुचगति परसत तु जो परति है पाछि l
‘परमानंद’ गोपाल आलिंगी गोप वधू हरिनाछि ll 3 ll
साज – श्रीजी में आज लाल पीली एकदानी चूंदड़ी की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद रंग की बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी में आज लाल पीली एकदानी चूंदड़ी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र फ़िरोज़ी रंग के आते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फ़ीरोज़ी मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लाल पीली एकदानी चूंदड़ी की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चन्द्रिका तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में चार कर्णफूल धराये जाते हैं.पुष्पों की सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरियाँ के वेणुजी एवं वैत्रजी धराये जाते हैं.पट लाल व गोटी चाँदी की आती है.