WhatsApp Image 2025 06 05 at 5.44.18 AM

SHREEJI DARSHAN & SHRINGAR/ज्येष्ठ-शुक्ल पक्ष-दशमी (गंगा दशमी)

जय श्री कृष्ण 🙏

व्रज – ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी (गंगा दशमी)
Thursday, 05 June 2025

आगे आगे भाज्यो जात भागीरथ को रथ, पाछे पाछे आवत रंग भरी गंग ।
झलमलात उज्वल जल ज्योति अब निरखत, मानो सीस भर मोतिन मंग ।।१।।
जहां परे है भूप कबके भस्म रूप ठोर ठोर,
जाग उठे होत सलिल संग ।
नंददास मानों अग्नि के यंत्र छूटे, ऐसे
सुर पुर चले धरें दिव्य अंग।।२।।

गंगादशमी, नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोविन्दलालजी महाराज का गादी उत्सव

श्रीजी को नियम के केसरी पिछोड़ा व श्रीमस्तक पर केसरी रंग की श्याम झाईं वाली छज्जेदार पाग के ऊपर रुपहली लूम की किलंगी धरायी जाती है.

आज के दिन ही नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोविन्दलाल जी महाराज श्री का गादी उत्सव भी है. दो उत्सव होने के कारण आज श्रीजी को गोपीवल्लभ भोग में दो नवीन प्रकार की सामग्रियां अरोगायी जाती हैं.

आज श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से मनोर (इलायची-जलेबी) के लड्डू, केशरयुक्त जलेबी के टूक व दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.

राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता व सखड़ी में दहीभात, सतुवा, केसरयुक्त पेठा व मीठी सेव अरोगायी जाती है.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

जाको वेद रटत ब्रह्मा रटत शम्भु रटत शेष रटत,
नारद शुक व्यास रटत पावत नहीं पाररी l
ध्रुवजन प्रह्लाद रटत कुंती के कुंवर रटत,
द्रुपद सुता रटत नाथ अनाथन प्रति पालरी ll 1 ll
गणिका गज गीध रटत गौतम की नार रटत,
राजन की रमणी रटत सुतन दे दे प्याररी l
‘नंददास’ श्रीगोपाल गिरिवरधर रूपजाल,
यशोदा को कुंवर प्यारी राधा उर हार री ll 2 ll

साज – आज श्रीजी में केसरी रंग की मलमल की, उत्सव के कमल के काम और रुपहली तुईलैस की किनारी से सुशोभित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को केसरी मलमल का किनारी वाला पिछोड़ा धराया जाता है.

श्रृंगार – आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. उत्सव के हीरा एवं उष्णकाल के मिलमा आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर केसरी मलमल की श्याम झाईं वाली छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, रुपहली लूम की किलंगी एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में एक जोड़ी झुमका वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.श्रीकंठ में त्रवल की जगह कंठी धरायी जाती हैं. तुलसी एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर कलात्मक मालाजी धरायी जाती हैं एवं इसी प्रकार श्वेत व गुलाबी पुष्पों की दो मालाजी हमेल की भांति धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में चार कमल की कमलछड़ी, मोती के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.पट ऊष्णकाल का व गोटी मोती की आती है.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shopping Cart