WhatsApp Image 2025 07 03 at 6.32.22 AM

SHREEJI DARSHAN & SHRINGAR/आषाढ़-शुक्ल पक्ष-अष्टमी

जय श्री कृष्ण 🙏

व्रज – आषाढ़ शुक्ल पक्ष अष्टमी
Thursday, 03 Jul 2025

मल्लकाछ टिपारा का श्रृंगार

मल्लकाछ (मल्ल एवं कच्छ) दो शब्दों से बना है और ये एक विशेष पहनावा है जो आम तौर पर पहलवान मल्ल (कुश्ती) के समय पहना करते हैं. सामान्यतया वीर-रस का यह श्रृंगार पराक्रमी प्रभु की चंचलता प्रदर्शित करने की भावना से धराया जाता है.

कीर्तन – (राग : मल्हार)

वृन्दावन कनकभूमि नृत्यत व्रज नृपतिकुंवर l
उघटत शब्द सुमुखी रसिक ग्रग्रतततत ता थेई थेई गति लेत सुधर ll 1 ll
लाल काछ कटि किंकिणी पग नूपुर रुनझुनत बीच बीच मुरली धरत अधर l
‘गोविंद’ प्रभु के जु मुदित संगी सखा करत प्रसंशा प्रेमभर ll 2 ll

साज – आज श्रीजी में माखनचोरी लीला के सुन्दर चित्रांकन से सुसज्जित सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है जिसमें कृष्ण-बलराम अपने मित्रों के साथ मल्लकाछ-टिपारा का श्रृंगार धराये माखन चोरी कर रहे हैं. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज सुआपंखी मलमल का रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी वाला मल्लकाछ एवं पटका धराया जाता है. इसी प्रकार अंगूरी रंग का रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी वाला पटका भी धराया जाता है. इस श्रृंगार को मल्लकाछ-टिपारा एवं दोहरा पटका का श्रृंगार कहा जाता है. ठाड़े वस्त्र चंदनी रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – आज प्रभु को श्रीकंठ का शृंगार छेड़ान (हल्का) बाक़ी मध्य का (घुटने तक) ऊष्णक़ालीन श्रृंगार धराया जाता है. मोतियों के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर टिपारा का साज (सुआपंखी मलमल की टिपारा की टोपी के ऊपर मध्य में मोरशिखा और दोनों ओर दोहरा कतरा) तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मयुराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

हांस, त्रवल, पायल कड़ा हस्तसाखलाआदि धराये जाते हैं. श्रीकंठ में श्वेत माला धरायी जाती है. श्वेत पुष्पों की विविध पुष्पों की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमल के फूल की छड़ी, सुवा के वेणुजी तथा दो वेत्रजी धराये जाते हैं.पट उष्णकाल का व गोटी हक़ीक की आती है.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shopping Cart