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SHREEJI DARSHAN & SHRINGAR/श्रावण-शुक्ल पक्ष-नवमी

जय श्री कृष्ण 🙏

व्रज -श्रावण शुक्ल पक्ष नवमी
Sunday, 03 August 2025

नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोविन्दलालजी महाराज कृत सप्तस्वरूपोत्सव

श्रीजी को नियम से केसरी रंग की गोल-काछनी (मोर-काछनी), श्रीमस्तक पर गुलाबी गौ-कर्ण एवं स्वर्ण का रत्नजड़ित घेरा धराया जाता है. यह वस्त्र और श्रृंगार वर्ष में केवल आज के दिन ही धराये जाते हैं.

श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से मूँग की दाल की मोहनथाल एवं दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है. राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता अरोगाया जाता है.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

विहरत सातो रूप धरे l
सदा प्रकट श्रीवल्लभनंदन द्विज कुल भक्ति वरे ll 1 ll
श्रीगिरिधर राजाधिराज व्रजराज उध्योत करे l
श्रीगोविन्द इंदु जग किरणन सींचन सुधा करे ll 2 ll
श्रीबालकृष्ण लोचन विशाल देख मन्मथ कोटि डरे l
गुण लावण्य दयाल करुणानिधि गोकुलनाथ भरे ll 3 ll
श्रीरघुपति यदुपति घनसांवल मुनिजन शरण परे l
‘छीतस्वामी’ गिरिधर श्रीविट्ठल तिहि भज अखिल तरे ll 4 ll

साज – श्रीजी में आज श्याम रंग की गौस्वामी बालकों तथा गायों के सुन्दर चित्रांकन और रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है जिसमें श्रीजी के दोनों ओर सभी सप्तस्वरूप विराजित हैं और पास में उनके आचार्यचरण सेवा में उपस्थित हैं ऐसा सुन्दर चित्रांकन है

गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी रंग की मलमल की सूथन, गोल-काछनी (मोर काछनी) तथा रास-पटका धराया जाता है. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. हीरे की प्रधानता से मोती, माणक, पन्ना एवं जड़ाव सोने के आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर केसरी रंग की जडाऊ टिपारे की टोपी के ऊपर लाल रंग के सुनहरी किनारी वाले गौकर्ण, स्वर्ण का रत्नजड़ित घेरा एवं बायीं ओर मोती की चोटी धरायी जाती है. श्रीकर्ण में हीरा के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

श्रीकंठ में कली,कस्तूरी आदि की माला आती हैं.नीचे सात पदक ऊपर हीरा, पन्ना, माणक, मोती के हार व दुलडा धराया जाता हैं. दो पाटन वाले हार धराये जाते हैं.सफेद एवं पीले पुष्पों के रंग-बिरंगी थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरे के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.पट उत्सव का एवं गोटी सोना की बाघ-बकरी की आती हैं.आरसी शृंगार में चार झाड़ की एवं राजभोग में सोना की डांडी की आती हैं.

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