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SHREEJI DARSHAN & SHRINGAR /वैशाख कृष्ण षष्ठी

जय श्री कृष्ण 🙏

व्रज – वैशाख कृष्ण षष्ठी
Saturday, 19 April 2025

लाल पीली एकदानी चुंदड़ी के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चंद्रिका के शृंगार

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : नट)

नातर लीला होती जूनी।
जो पै श्रीवल्लभ प्रकट न होते वसुधा रहती सूनी।।१।।
दिनप्रति नईनई छबि लागत ज्यों कंचन बिच चूनी।
सगुनदास यह घरको सेवक जस गावत जाको मुनी।।२।।

साज – आज श्रीजी में लाल पीली चुंदड़ी की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को लाल पीली एकदानी चुंदड़ी का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. ठाडे वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – आज प्रभु को हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर चुंदड़ी की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट लाल एवं गोटी मीना की आती है.

संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं. शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराया जाता है.

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