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SHREEJI DARSHAN & SHRINGAR

जय श्री कृष्ण 🙏

व्रज – वैशाख कृष्ण तृतीया
Wednesday, 16 April 2025

पचरंगी लहरियाँ का सूथन चोली तथा खुलेबंद के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर फेटा पर फेटा का साज के शृंगार

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : नट)

नातर लीला होती जूनी।
जो पै श्रीवल्लभ प्रकट न होते वसुधा रहती सूनी।।१।।
दिनप्रति नईनई छबि लागत ज्यों कंचन बिच चूनी।
सगुनदास यह घरको सेवक जस गावत जाको मुनी।।२।।

साज – श्रीजी में आज पचरंगी लहरियाँ की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को पंचरंगी लहरिया के तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं खुलेबन्द के चाकदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र पीले धराये जाते हैं.

श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (छेड़ान का कमर तक) श्रृंगार धराया है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.श्रीमस्तक पर फेंटा पर कतरा अथवा चंद्रिका धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में लोलकबिंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी एवं कमल माला धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, झीने लहरिया के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.पट लाल व गोटी बाघ बकरी की आती है.

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