WhatsApp Image 2025 07 18 at 5.54.27 AM

SHREEJI DARSHAN & SHRINGAR/ श्रावण-कृष्ण पक्ष-अष्टमी

जय श्री कृष्ण 🙏

व्रज – श्रावण कृष्ण पक्ष अष्टमी
Friday, 18 Jul 2025

जन्माष्टमी की बधाई बैठे, जन्माष्टमी का प्रतिनिधि का श्रृंगार

विशेष – आज से ठीक एक मास पश्चात भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी होगी अतः आज उत्सव से एक माह पूर्व जन्माष्टमी के उत्सव की बधाई बैठती है.

श्रीजी को आज जन्माष्टमी का प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया जाता है.प्रतिनिधि के श्रृंगार का अर्थ उत्सव के आगमन के आभास से है अथवा यूं कहा जा सकता है कि प्रभु के प्राकट्य की शुभ घड़ी निकट ही है अतः बालक श्रीकृष्ण के स्वागत की तैयारी प्रारंभ कर लीजिये.

जन्माष्टमी-नंदमहोत्सव की बधाई एक माह पूर्व बैठती है इसके विविध भाव भी जान लीजिये –

यह उत्सव महामहोत्सव होने के कारण यशोदाजी एवं रोहिणीजी के भाव से 15-15 दिन बधाई बैठती है.

इसी प्रकार श्री महाप्रभुजी (श्री स्वामिनीजी) एवं श्री गुसाईंजी (श्री चन्द्रावलीजी) के भाव से 15-15 दिन की बधाई बैठती है.

वैसे अन्य भाव में वात्सल्य एवं मधुर भाव से बधाई बैठती है.

इसमें भी चार यूथाधिपतियों के भाव से चार बधाई बैठती है. विभिन्न प्रकार के वाधों द्वारा अगले एक मास की (आज से) झांझ की बधाई श्री यमुनाजी के भाव से, बारह दिन की (पवित्रा द्वादशी से) नौबत की बधाई श्री चन्द्रावलीजी के भाव से, आठ दिन की (रक्षाबंधन से) मांदल की बधाई श्री स्वामिनीजी के भाव से एवं इसी प्रकार आठ दिन की (रक्षाबंधन से) गीत गाने वाली गोपीजनों की बधाई कुमारिकाजी भाव से होती है.

आज से श्रीजी में बालभाव के कीर्तन गाये जाते हैं, बालभाव के श्रृंगार धराये जाते हैं

सेवाक्रम- संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी सोने के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं.

कल अर्थात श्रावण कृष्ण नवमी को श्रीजी को विशिष्ट पंचरंगी लहरिया का पिछोड़ा व श्रीमस्तक पर पाग पर तीन कलंगी वाले सिरपैंच के ऊपर नागफणी के कतरे का श्रृंगार धराया जायेगा. यह श्रृंगार वर्षभर में केवल कल के दिन ही धराया जाता है.

इन वस्त्रों की कुछ और भी विशेषता है जो कि मैं कल की post में बताने का प्रयास करूंगा.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : आसावरी)

धन्य यशोदा भाग तिहारो जिन ऐसो सुत जायो हो l
जाके दरस परस सुख उपजत कुलको तिमिर नसायो हो ll 1 ll
विप्र सुजन चारन बंदीजन सबै नंदगृह आये हो l
नौतन सुभग हरद दूब दधि हरषित सीस बरसाये हो ll 2 ll
गर्ग निरुप किये सुभ लच्छन अवगत है अविनासी l
‘सूरदास’ प्रभुको जस सुनिकै आनंदे व्रजवासी ll 3 ll

साज – श्रीजी में आज लाल रंग की मलमल पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित, उत्सव की कमल के बड़े लप्पा वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी मलमल का रुपहली किनारी से सुसज्जित पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का उत्सववत भारी श्रृंगार धराया जाता है. हीरे, मोती, माणक, पन्ना तथा जड़ाव सोने के तीन जोड़ी के आभरण धराये जाते हैं. नीचे पदक व ऊपर हार, माला आदि धराये जाते हैं. त्रवल, टोडर दोनों धराये जाते हैं. एक हालरा, बघनखा भी धराया जाता है.

श्रीमस्तक पर रुपहली किनारी से सुसज्जित केसरी मलमल की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, पांच मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. उत्सव की हीरा की चोटी (शिखा) धरायी जाती है. कली, कस्तूरी आदि सब माला धरायी जाती है. पीले एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, हीरा की वेणुजी एवं दो (एक सोना का) वेत्रजी धराये जाते हैं.पट उत्सव का, गोटी जडाऊ की छोटी आती हैं.आरसी श्रृंगार में पीले खंड की एवं राजभोग में सोना की डाँडी की आती है.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shopping Cart